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Monday, July 8, 2013

मैं वो नहीं




'उफ' तेरी ये मदहोश निगाहें
क्यों मेरा साथ कभी छोड़ती नहीं।
जब भी देखा है पलके उठाकर
अपने सिवा कोई नज़र आता नहीं।

न जाने ये आंखें क्या कहना चाहती है
'हाँ' खामोश तो कभी ये रहती नहीं।
तेरी आंखे मुझे एक ख़्वाब दिखाना चाहती है
मगर जुबाँ तेरा साथ देती नहीं।

खिंची चली आती हूँ मैं तेरी ओर
पर रोक लेता है मेरा ये दिल।
तूने किया नहीं इकरार कभी
इसलिए बस, दिल बार-बार यही दोहराता है... 
मैं वो नहीं,मैं वो नहीं।

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