दीवाना बनाते हो आंखों से तुम
पागल करते हो अपनी बातों से तुम
आख़िर मेरे क्या लगते हो तुम
जितनी दूर जाती हूँ तुमसे
उतने ही पास आते हो तुम
कहना क्या चाहते हो तुम
समझाओ मुझे अपना हर इशारा
कुछ महसूस कराना चाहते हो मुझे
लेकिन कहने से पहले ही घबराते हो तुम
शायद, अपने ही किसी अहसास से डर जाते हो तुम।
किरण