बात तब की है जब पढाई रास नहीं आती थी। सिर्फ ये सूझता था कि ऐसा क्या किया जाये की थोड़ी बहुत आमदनी का जुगाड़ भर हो जाये। मेरा ऐसा सोचना कि एक फ्रेंड ने अपनी बहन का पार्लर का प्रस्ताव मेरे आगे रखा। मैं चली भी गई सीखने और उसी काम को आगे बढ़ाने की सोच लिए।
(जाने कितने अरमान जाग जाते हैं पलभर में जब कुछ सोचा हो और उस काम की शुरुआत भर भी हो जाये तो सपने उढ़ान भरने लगते हैं और आप ख़्वाहिशों के आसमान पर होते हैं। वाह, क्या फिलिंग होती है वो। पल भर भी थमना नहीं चाहते है आप।बस कुछ ऐसा ही था। उस वक़्त मेरे साथ भी। उम्र कोई ज़्यादा भी नहीं थी। 15-16 साल की ।)
(जाने कितने अरमान जाग जाते हैं पलभर में जब कुछ सोचा हो और उस काम की शुरुआत भर भी हो जाये तो सपने उढ़ान भरने लगते हैं और आप ख़्वाहिशों के आसमान पर होते हैं। वाह, क्या फिलिंग होती है वो। पल भर भी थमना नहीं चाहते है आप।बस कुछ ऐसा ही था। उस वक़्त मेरे साथ भी। उम्र कोई ज़्यादा भी नहीं थी। 15-16 साल की ।)
वहीँ मिली थी मैं पायल से ज़हनी तौर पर। हालाँकि कोई अच्छी लड़की नहीं थी वह मेरी नज़र में। मेरी ही हमउम्र थी लेकिन मेरे बिल्कुल विपरीत। रास्ते चलते वह किसी को भी छेड़ दिया करती थी। गाली-गलोच तो पूछो मत। हम भी जब कभी खेला करते तो हमारा खेल भी बिगाड़ दिया करती थी। पूरे दिन साईकिल पर सवार यहाँ से वहाँ ही घूमती रहती। जैसे उसकी माँ उसे कभी न रोकती हो। पापा उसकी गाली पर कभी न टोकते हों और उसके भाई उसके साथ न खेलते हों। वह हर किसी को गलियां दे दिया करती थी। पार्लर में मुझे देख बात करने की कोशिश किया करती थी। मैं उसे एक नज़र भी नहीं देखती थी। ज्यों ज्यों वह बातें करती मैं उतना ही कट जाती। अब मेरी बेरुख़ी उसे पसंद न आती। वह अक़्सर कहती तू इतना चुप क्यों रहती है? मुझसे बात क्यों नहीं करती।
मैंने छूटते ही कहा- तुम इतनी गलियां देती हो। किसी से भी लड़ती हो। मुझे तुम पसंद नहीं। उसे बहुत बुरा लगा। वह बहुत इमोशनल हो गई थी। पार्लर वाली दीदी ने उसे सात्वना दी और बात पलटने की कोशिश भी की। तभी दीदी का फ़ोन बज उठा और वह बाहर चली गई।
मुझे अपनी हरक़त पर पछतावा हुआ। मैंने उसे साफ़ शब्दों में वही दोहरा दिया जो मुझे कहा जाता है अक़्सर।
लड़कियों को गाली नहीं देनी चाहिए। लड़को से झगड़ा नहीं करना चाहिए। न पूरे दिन घूमना चाहिए। तेरे मम्मी पापा कुछ नहीं कहते तुझे?
वह रोने लगी। मैं डर गई कि दीदी मुझे ही डांटेगी तो उसे चुप करने के लिए मनाने लगी। उसके आंसू पोछे। वह मेरे गले लग पड़ी और बोली-मेरे मम्मी पापा यहाँ नहीं हैं । मम्मी मुझसे मिलने आती है कभी कभी। फ़ोन भी कर लेती है। जिनके साथ मैं रहती हूँ वह ही मुझे ये सब सिखाते हैं। रोज़ पैसे मिलते हैं मुझे। मुझे डांस करना सिखाते हैं। ढ़ोलक बजाना मुझे बेहद पसंद है।
मैंने उसे कहा- पागल कैसे रहती है तू अनजान लोगों के साथ मम्मी की याद नहीं आती?
वह बोली- ये लोग जाने नहीं देते। कहते हैं तू हममें से है हमारे साथ ही रहेगी। तेरी माँ ने तुझे पता नहीं कैसे इतने साल छुपा के रख लिया। ये लोग बहुत प्यार से रखते है मुझे। मैं एक बार भाग गई थी। मेरी बढ़ी बी बहुत रोइ थी।मैं उनके पास ही रहती हूँ। वह मुझे समझाती है कि हम हिजड़े हैं और हमें ऐसे ही रहना है। गाली देना हमारे लिए कुछ ग़लत नहीं है। मैं अपनी मण्डली के साथ दुआऍं देने जाती हूँ ये शगुन का काम है।
पायल पूरी बात कहती कि दीदी ने बाहर से पायल को आवाज़ दी। उसकी बी ने उसे बुलाया था। उस वक़्त हम इतना ही जानते थे कि हिजड़े होते हैं कौन होते है पता नहीं। बस गलियों में किसी मौके पर नाचने आते हैं तालियां बजाते हैं लेकिन पायल नहीं बजाती थी। वह हमसे अलग है न वो जानती न मैं। मैं अपनी माँ के साथ रहती हूँ वह क्यों नहीं। कितनी गन्दी मम्मी थी उसकी जो उसे दूसरों के घर छोड़ दिया क्यों? बस ऐसे ही कुछ सवाल वह छोड़ गई थी।
मैंने छूटते ही कहा- तुम इतनी गलियां देती हो। किसी से भी लड़ती हो। मुझे तुम पसंद नहीं। उसे बहुत बुरा लगा। वह बहुत इमोशनल हो गई थी। पार्लर वाली दीदी ने उसे सात्वना दी और बात पलटने की कोशिश भी की। तभी दीदी का फ़ोन बज उठा और वह बाहर चली गई।
मुझे अपनी हरक़त पर पछतावा हुआ। मैंने उसे साफ़ शब्दों में वही दोहरा दिया जो मुझे कहा जाता है अक़्सर।
लड़कियों को गाली नहीं देनी चाहिए। लड़को से झगड़ा नहीं करना चाहिए। न पूरे दिन घूमना चाहिए। तेरे मम्मी पापा कुछ नहीं कहते तुझे?
वह रोने लगी। मैं डर गई कि दीदी मुझे ही डांटेगी तो उसे चुप करने के लिए मनाने लगी। उसके आंसू पोछे। वह मेरे गले लग पड़ी और बोली-मेरे मम्मी पापा यहाँ नहीं हैं । मम्मी मुझसे मिलने आती है कभी कभी। फ़ोन भी कर लेती है। जिनके साथ मैं रहती हूँ वह ही मुझे ये सब सिखाते हैं। रोज़ पैसे मिलते हैं मुझे। मुझे डांस करना सिखाते हैं। ढ़ोलक बजाना मुझे बेहद पसंद है।
मैंने उसे कहा- पागल कैसे रहती है तू अनजान लोगों के साथ मम्मी की याद नहीं आती?
वह बोली- ये लोग जाने नहीं देते। कहते हैं तू हममें से है हमारे साथ ही रहेगी। तेरी माँ ने तुझे पता नहीं कैसे इतने साल छुपा के रख लिया। ये लोग बहुत प्यार से रखते है मुझे। मैं एक बार भाग गई थी। मेरी बढ़ी बी बहुत रोइ थी।मैं उनके पास ही रहती हूँ। वह मुझे समझाती है कि हम हिजड़े हैं और हमें ऐसे ही रहना है। गाली देना हमारे लिए कुछ ग़लत नहीं है। मैं अपनी मण्डली के साथ दुआऍं देने जाती हूँ ये शगुन का काम है।
पायल पूरी बात कहती कि दीदी ने बाहर से पायल को आवाज़ दी। उसकी बी ने उसे बुलाया था। उस वक़्त हम इतना ही जानते थे कि हिजड़े होते हैं कौन होते है पता नहीं। बस गलियों में किसी मौके पर नाचने आते हैं तालियां बजाते हैं लेकिन पायल नहीं बजाती थी। वह हमसे अलग है न वो जानती न मैं। मैं अपनी माँ के साथ रहती हूँ वह क्यों नहीं। कितनी गन्दी मम्मी थी उसकी जो उसे दूसरों के घर छोड़ दिया क्यों? बस ऐसे ही कुछ सवाल वह छोड़ गई थी।
(बस तालियों और घुँगरू की गूँज की मण्डली देख मुझे वह याद हो आई। )